देश और दुनिया को वेदों की जरूरत

फराहाना ताज जो अब मधु के नाम से जानी जाती है, उन्होंने कहाकि देश और दुनिया को वेदों की जरूरत है। उन्होंने अपनी पुरानी यादें ताजा करते हुए कहा कि जब उन्होंने वैदिक धर्म अंगीकार किया तो उन्हें न केवल विशेष समुदाय वरन खुद हिंदुओं के भी विरोध का सामना करना पड़ा और ससुराल में तो आज तक अंगीकार नहीं किया गया, लेकिन ऐसी सोच से वेदों की महत्ता पर कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि वेद तो सारी दुनिया को अपना परिवार मानते हैं और केवल मनुष्य बनने की शिक्षा देते हैं।